"जैसे एक बछड़ा हज़ारो गायों के झुंड मे अपनी माँ के पीछे चलता है। उसी प्रकार आदमी के अच्छे और बुरे कर्म उसके पीछे चलते हैं।"  आचार्य चाणक्य

"सबसे बड़ा गुरु मंत्र, अपने राज किसी को भी मत बताओ। ये तुम्हे खत्म कर देगा।"  आचार्य चाणक्य

"आदमी अपने जन्म से नहीं अपने कर्मों से महान होता है।"  आचार्य चाणक्य

"ईश्वर मूर्तियों में नहीं है। आपकी भावनाएँ ही आपका ईश्वर है। आत्मा आपका मंदिर है।"  आचार्य चाणक्य

"पुस्तकें एक मुर्ख आदमी के लिए वैसे ही हैं, जैसे एक अंधे के लिए आइना।" आचार्य चाणक्य

"आग सिर में स्थापित करने पर भी जलाती है। अर्थात दुष्ट व्यक्ति का कितना भी सम्मान कर लें, वह सदा दुःख ही देता है।"  आचार्य चाणक्य

"जो जिस कार्ये में कुशल हो उसे उसी कार्ये में लगना चाहिए।" आचार्य चाणक्य